श्री उमेशराज शेखावत के अनुसार इस गौ सेवा संस्थान की जरूरतमंद गाय की मदद करने में भागीदारी होगी ।देसी गायों और बछड़ों की मदद करके उन्हें भोजन की उचित देखभाल के लिए आश्रय दिया जाता है।गाय को खाना खिलाना पूजनीय माना गया है क्योंकि हम 36 करोड़ देवी-देवताओं को भोजन कराते हैं उनकी पूजा करते है और यह माना गया है की गाय में 36 करोड़ देवी देवता निवास करते है |
मूल रूप से उमेशराज शेखावत का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक गायों को बचाना है क्योंकि बहुत सी गाय कचरा खाने और कुछ बीमारियों से बुरी तरह प्रभावित हैं। कचरा खाने से गायों में कैंसर की बिमारी या फिर कोई भी घाव हो सकता है जो बेहद दर्दनाक साबित होगा है। उमेशराज गौ सेवा संस्थान जरूतमंद गायों और बछड़ों पर नज़र रखने में बहुत सक्रिय है ताकि उनकी मदद कर सके और उन्हें बचाएं।
महाकाव्य की अनुशासन पर्व पुस्तक बताती है कि सुरभि का जन्म "सृष्टिकर्ता" (प्रजापति) की पीठ से हुआ था, जब उन्होंने समुद्र मंथन से निकली अमृता को पिया। आगे, सुरभि ने कपिला गायों के नाम से कई सुनहरी गायों को जन्म दिया, जिन्हें दुनिया की माँ कहा जाता था। शतपथ ब्राह्मण भी एक ऐसी ही कहानी कहता है, प्रजापति ने सुरभि को अपनी सांस से बनाया। हिन्दुत्व में गाय को परिवार का सदस्य माना गया है
रामायण के अनुसार, सुरभि ऋषि कश्यप की पुत्री और दक्ष की पुत्री क्रोधावशा की पुत्री हैं। उनकी बेटियां रोहिणी और गंधारवी क्रमशः मवेशियों और घोड़ों की माँ हैं। फिर भी, यह सुरभि है, जिसे पाठ में सभी गायों की माँ के रूप में वर्णित किया गया है। हालांकि, पुराणों में, जैसे कि विष्णु पुराण और भागवत पुराण में, सुरभि को दक्ष की बेटी और कश्यप की पत्नी के रूप में वर्णित किया गया है, साथ ही गायों की माँ भी हैं।
वैदिक साहित्य के अनुसार हमें गायों की रोजाना की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए।भगवान कृष्ण भी गौ माता की सेवा करके उन्हें रोज सुबह चराने ले जाते थे यही कारण है कि सभ्य परिवार रोजाना गौ माता की सेवा करता है और उन्हें खाना खिलाता है | हिंदू अनुष्ठान में गाय को एक शुद्ध आत्मा, विश्वास, पवित्रता, धार्मिक संस्कृति का प्रतीक माना गया हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं मे यह बताया गया है कि "गौ" और "श्री कृष्ण" दोनों एक दूसरे की पहचान हैं।
जिसने समस्त चराचर जगत को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं।